संस्था के बारे में ...
‘त्रिवेणी सेवा न्यास’ एक पंजीकृत परोपकारी संस्था है जो बगैर किसी लाभ के निःस्वार्थ भाव से समाजहित के कार्यों में संलग्न है। इस संस्था की स्थापना दिनांक 30.06.2018 को स्वर्गीय त्रिवेणी सहाय की स्मृति में की गई थी। इसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 442 / 18 है।
स्वर्गीय त्रिवेणी सहाय एक लब्घ प्रतिष्ठित विद्वान एवं शिक्षाविद थे जिनका हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं पर समान अधिकर था। इसके अतिरिक्त उनका स्वाध्याय बहुआयामी था। पेशे से अध्यापक स्वर्गीय त्रिवेणी सहाय ने वंचित, विपन्न साधनहीन वर्ग के बच्चों के शैक्षिक उन्नयन को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। वे आजीवन साधनहीन वर्ग की नई पीढ़ी को शिक्षित, संस्कारित कर के स्वावलम्बी बनाने के पुनीत कार्य में लगे रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने गरीब परिवारों के अनेक ऐसे बच्चों जिनके अभिवावक उन्हें पढ़ा सकने में असमर्थ थे, को अपने खर्चे पर पढ़ा-लिखा कर योग्य बनाया। उनमें से कई बाद में विभिन्न सरकारी नौकरियों में गए। इस ‘त्रिवेणी सेवा न्यास’ की स्थापना स्वर्गीय त्रिवेणी सहाय की इसी सोच की दिशा में कुछ और बेहतर करने के उद्देश्य से की गयी है। इस संस्था के सभी पद अवैतनिक हैं।
‘त्रिवेणी सेवा न्यास’ के क्रिया-कलाप
‘साहित्य संस्कृति और संस्कार का महत्वपूर्ण वाहक है’ यह सूत्र वाक्य ‘त्रिवेणी सेवा न्यास’ का मूल मंत्र है। इस संस्था का मानना है कि नई पीढ़ी को शिक्षित, संस्कारित किए बगैर समाज के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। समाज निर्माण के कार्य में स्वस्थ एवं सार्थक साहित्य की सर्वाधिक प्रभावी भूमिका होती है। इस संस्था की प्रमुख गतिविधियाॅं इसी दिशा में होती हैं। यथा-
1- ‘समकालीन त्रिवेणी’ नाम से एक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन।
2- समय-समय पर साहित्यिक गोष्ठी, परिचर्चा आदि का आयोजन।
3- नई पीढ़ी के बच्चों को साहित्य से जोड़ने के लिए विद्यालयों में बच्चों के बीच साहित्यिक गतिविधियाॅं करना तथा बच्चों को बाल साहित्य की पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध कराना।